विशाल विराट अद्भुत सागर , कभी अंबर को चूमता, कभी थल को छूता हुआ, श्वेत ,ध्वल चांदनी विशाल विराट अद्भुत सागर , कभी अंबर को चूमता, कभी थल को छूता हुआ, श्वेत ...
मैं बिंदु हूँ एक जगह ठहरा हूँ पर वास्तव में बहुत गहरा हूँ मैं बिंदु हूँ एक जगह ठहरा हूँ पर वास्तव में बहुत गहरा हूँ
गहरे पानी में पैठ से मिलते हैं निश्चित मोती। गहरे पानी में पैठ से मिलते हैं निश्चित मोती।
पर आईना बनने के लिऐ पर आईना बनने के लिऐ
जाना निश्चित मान ले, क्यों जमाया है डेरा, कैसा यह जमाना आया, बन गया लुटेरा। जाना निश्चित मान ले, क्यों जमाया है डेरा, कैसा यह जमाना आया, बन गया लुटेरा।
नहीं कर सकते हम अपने स्वाभिमान को मौन। नहीं कर सकते हम अपने स्वाभिमान को मौन।